घोंघीक् व्यापारमे देवनारायण
कौशलेन्द्रकुमार, काठमाडौं- खेतीकिसानी पुर्ख्यौली पेशा रलक थारू उद्योग व्यावसायमे कमे लागल बटाँ। २०३६ सालसे राजधानी छिरल सप्तरी, औराहा भजक्काके देवनारायण चौधरी विगत २५ बरससे व्यापारमे लागल बटाँ। उहाँक दुकान कुपण्डोलमें (नाइटिंगेल स्कलसे कुछ पच्छिउँ) बटिन। किराना ओ तरकारी रहल उहाँक दुकानके विशेषता बटिन घोंघीक् व्यापार। व्यापारसे उहाँ दुई लर्कापर्कन वीएसम पह्रा सेक्लाँ।
देवनारायण गैलक ५ बरससे राजधानीम् सप्तरीसे घोंघी मंगैटी वेच्टी बटाँ। माघीक् अवसरमे उहाँ ३ क्वीन्टल घोंघी मंगैले रहिट। उहाँ कहलाँ– गैल बरस टुँडिखेलके माघी महोत्सवमे कच्चे घोंघी बहुट बेँच्लु। स्टलवालन् निंढल घोंघी बेच्ना असर परल जनाइल कारण असौँ कच्चे घोंघी बेचे नै पैना कहलाँ। जबकी स्टलमे निढल घोंघी बहुट महँगा रहे। घोंघी हाल प्रतिकिलो ८० रुपैँयामे देवनारायण बेच्टी बटाँ।
कीर्तिपुरमे सेती महाकाली सपिङ सेन्टरके मलिक्वा कैलालीक् यज्ञ चौधरी घोंघीक् नियमित ग्राहक हुइँट। उहाँ कहठाँ– माघी महोत्सवके मेलम् चिखे भरीक घोंघी किल घोंघी रहठ। ८/१० ठो घोंघीक् ५० रुपैँया ठोंक लेठाँ। देवनारायणके दोकानेमसे एकफाले ३/४ किलो मंगालेउ, हौस भर खाउ। कीर्तिपुरके डोसर गृहिणी सुनिता चौधरी शिकार, मच्छी नै खैठी। मने घोंघी कहटी कि हुँकार लार चुहे लग्ठिन। उहाँ कहठी– डुकन्डरवा जब जब घोंघी आइल खबर करठ, टब टब ३/४ किलो बुह्रवइसे मंग्वइठु। शिकार, मच्छीले सस्टा, पानी कट्ना, पेट सफा रख्ना घोंघी टे सुरुक्टी निक लागठ।
भुकम्प प्रविधि राष्ट्रिय समाज ललितपुर, भैसैँपाटीमे कार्यरत देउखर घोरहक सुरेश चौधरी ओ सानेपा, सिविल मल सुन्धारा तथा ठमेलमे थारू ओ जापानी खानाके परिकार पस्कना मोमोटारो रेष्टुरेण्टके मालिक देउखर छिंगटपुरीक पुरन चौधरी फेन देवनारायणके दोकान्क घोंघीक्. नियमित ग्राहक हुइट। सुरेश कहठाँ– आपन देउखरमे फेन कहल बेला घोघी खाइ नै मिलठ। यहाँ घोंघी उपलब्ध कराके व्यापारी देवनारायण थारूनके खानपीनहे प्रोत्साहन डेके गुन लगैले बटाँ। पुरन चौधरी आपन रेष्टुरेण्टमे घोंघीक् परिकार ढैना सोंच्टी बटाँ।
देवनारायणके पसलके पन्ज्रे कुपण्डोलमे टे्रडिशनल फुड मार्टमे प्रति प्लेट ८० रुपैँयामे घोंघीक स्वाद लिहे मिलठ। होटेलके पूर्व सञ्चालक अनिल चौधरी कहठाँ– मै पसल नेवार संघरीयनहे बेच्लुँ। मने उ फेन घोंघीक् टीना बेच्टी बा। खास ग्राहक थारू भाइ लोग जो हुइट। घोंघीमे सब्से ढेर प्रोटिन मिलठ कना खाद्यविज्ञन्के ठहर बा।
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