थारु साहित्यिक मेला-२

दिलबहादुर चौधरी।
थारु साहित्यिक मेला–२ के बारेम जानकारी डेहनासे पहिले थारु साहित्यिक मेलाके शुरुवात कैसिक हुइल? केकर प्रस्तावमे, केकर पहलमे हुइल? कहना बात नाई बतवैलेसे थोरथोर कञ्जुस्याई हुई कि कनाहस लागटा। तबमारे यी सम्बन्धमे थोरचे बतवैले मजा रहि कहना मोर निष्कर्ष हो।

थारु साहित्यिक मेला—१, बि.स. २०७३ (थारु सम्बत २६३९) बैशाख ३, ४ गते दाङके घोराहीमे हुइल रहे। लेखक एवं साहित्यकार कृष्णराज सर्बहारी ल्भउबष् िष्तिभचबतगचभ ँभकतष्खब िसे प्रभावित हुके यी बातके प्रस्ताव ढरल रहैं, छविलाल कोपिला लगायतके लेखक साहित्यकारहुक्रे यी बातमे सहमति जनाइल पाछे येकर शुरुवात हुइल रहे। दाङसे शुरुवात हुइल यी मेला—१, एक बरष किल पार कर्लेसे फे येकर बारेम धेर मनै जानकारी पासेक्ले बाटैं। कार्यक्रम मजा हुइल रहे। मने दाङमे हुइल उ कार्यक्रममे पहिल दिन उदघाटन शत्रमे धेर समय खर्च हुइल ओ कार्यपत्र धेर प्रस्तुत हुइलके कारण थोरचे समय कम परल कहना सहभागीहुक्रन महशुश हुइल रहे। बाँकी सब मजा रहे।

थारु साहित्यिक मेला—२ कैलालीमे २०७३ चैत १९ ओ २० गते सम्पन्न हुई जाइटा। दूर दूरके सकहुन १८ गते पुग्ना कहके नेउँटा पठागिल बा। दाङमे हुइल कमी कमजोरीहे कैलालीमे हटैना कोशिश आयोजकसे रही कहना धेरजे आशा कर्ले बाटैं। कैसिन हुइठ समय अइलेसे पता चली। दाङमे सम्पन्न कार्यक्रमके आयोजक दाङके थारु भाषा साहित्य सरक्षण मञ्च ओ हर्चाली साहित्य समुह रहे कलेसे कैलालीमे आयोजना हुइटी रहल कार्यक्रमके आयोजक ‘थारु लेखक संघ’ बा ओ तयारी समिति, ब्यबस्थापन समितिमे जिउगर साहित्य समाज, हिरगर साहित्यिक बगालके सदस्यहुक्रे, भाषा संस्कृति, साहित्यके संरक्षण सम्बर्द्धनके चाहना रखुइया सक्कुजे बाटैं।

थारु भाषा, साहित्य, संस्कृतिके बिकासके लग मेलाके आयोजना करजाइटा, सकहुनके येमने योगदान बा। कैलालीक फे अपन योगदान बा। मने कैलाली कंचनपुरमे थारु, भाषा, साहित्य संरक्षण ओ सम्बर्द्धनके लग सरकारी कार्यालयसे पैना सर सहयोग, सुबिधा तुलनात्मक रुपमे आउर ठाउँसे कुछ कम बा। तबुफेर यिहँक मनै थारु भाषा, साहित्य संरक्षणमे जोड डेले बाटैं। भाषा, साहित्य, संस्कृति संरक्षणमे ब्यक्तिगत ओ संस्थागत रुपसे लागल बाटैं, कलम चलाइटैं। पहुरा (थारु भाषाके) दैनिक पत्रिका निरन्तर भाषा साहित्य संरक्षण ओ सम्बर्द्धनमे सहयोग पुगैले बा। सँगे थारुनके डटकम, हिरगर साहित्यिक बगालके वेभसाइट फे काम कर्टी बा। इन्जल नेपाल फे थारु संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बर्द्धनमे टेवा डेहटी बा। रोदन ग्रुप फे अइसिन काममे सहयोगके हाथ बरहैले बा। राना ओ कठरिया थारु कैलालीहे भाषा, संस्कृति, साहित्यके हिसाबसे थप धनी बनैले बाटैं, आकर्षण ठप्ले बाटैं।

थारु साहित्यिक मेला—२, सिर्फ राहरंगी मेला नाइहो। राहरंगीके सँगे साहित्य जैसिन गरु बिषयमे छलफल चलैना, निष्कर्ष निकर्ना ओ समाजहे डोरिना मेला फे हो। तबमारे यिहीहे मजा बनैना हमार सकहुनके कर्तव्य हो। मजा बनैना क्रममे हुइना कमी कमजोरी हमार लग हुइना सिखनौटी हो। उ सिखनौटीहे आगामी बरष आगामी ठाउँके लग बोके पर्ना फे हमार कर्तव्य हो।

कर्तव्यहे निर्वाह कर्टी, कैलालीमे हुइना कार्यक्रममे आयोजक ‘थारु लेखक संघ’ पहिल दिन (१९ गते) सगुनसाथ पटेला गाउँक सखिया नाच साहित्यिक मेला—२ के अँगनामे बेल्सना, पोष्टा प्रदर्शनी मेला लगैना, ओ लेखक तथा साहित्यकार कृष्णराज सर्बहारीके घर गोस्याईमे प्रमुख बक्ता सहित अन्य बक्ताहुक्रन पहुनक रुपमे बैठिना, पुस्तक बिमोचन कर्ना, सम्मानित ब्यक्तित्वहुक्रन मुख्य बक्ता, भाषा बिज्ञसे सम्मानकर्ना, कचेहरीमे भाग नाइलेहुइअन बिदाई कर्ना, गजल, मुक्तक, कथा लेखनकलाके बारेम छलफल चलिना, समसामयिक थारु मुद्दासे थारु साहित्यहे जोर्ना बारेम छलफल चलैना, कबिता, मुक्तक, गजल बाचन करिना ओ थारु मानक भाषाके बिषयमे अन्तर्क्रिया ओ गहन छलफल करके निष्कर्षमे पुग्ना निर्णय कर्ले बा। साँझके पटेला गाउँक अध्ययन भ्रमण कर्ना कार्यक्रम बनिले बा।

२० गते बासी खाके थारु साहित्यि सम्बन्धमे जिल्लागत अबस्थाके बारेम छलफल चलैना, थारु पत्रिका, पत्रकारिता ओ चुनौतीक बारेम छलफल, गीत, लोकगीतके अबस्था, थारु सलिमा बारेम छलफल, कार्यक्रमके समीक्षा, मनिराम चौधरीसे एकठो लोकगीत प्रस्तुत करवैना, सहयोगीहुक्रन कदर पत्र प्रदान, बिधिवत धन्यवाद ज्ञापनसहित ओरौनी—समापन कार्यक्रम सम्पन्न कर्ना, सामुहिक तस्बीर खिचैना ओ बिदाबारी हुइना कार्यक्रम बनैले बा।

उप्पर उल्लेखित कार्यक्रम सम्पन्न करेक लग सक्कुजे अपन अपन जिम्मेवारी बहन कर्ना, जिल्ला जिल्लासे अइना सहभागीहुक्रनके नाउँ कैलालीक ईन्दू चौधरी, सत्यनारायण दहित, सागर कुश्मीहे आजाइक पर्ना निर्णय कर्ले बा। सँगे कैलाली कंचनपुरमे मनाजिना चिरैं/चरैं त्यौहार २१ गते थारु छात्राबास धनगढीमे आयोजना कैगिल बा। चिरैं जौन कन्या स्वतन्त्रता दिवसके रुपमे परिचित बा। दूर दूरके लेखक, साहित्यकार सँघरीयाहुक्रनके लग ओकर फे अध्ययन अवलोकन करेसेक्ना बाताबरण, अवसर मिलागिल बा। चिरैं कैलालीक थारुन (चौधरी ± राना ± कठरिया) के मौलिक त्यौहार हो कलेसे कंचनपुरीक रानाथारुनके मौलिक त्यौहार हो।

ओरौनीमे अतरै कहुँ कि कैलालीमे सम्पन्न हुइजारहल थारु साहित्यिक मेला —२ पटेलामे भब्य रुपमे सम्पन्न हुइजाइटा। आयोजक संस्था यिहीहे भब्य ओ सभ्य बनाइक लग लागल बाटैं। यी मेला कंचनपुरसे नवलपरासी तकके लेखक, साहित्यकार, गीतकार, गायक, सिने कलाकार, भाषा, संस्कृतिमे रुचि रखुइयाहुक्रनके एक भारी जमघट हो, सकहुनके भेटघाट करेसेक्ना भारी अवसर फे हो। कैलालीक सँघरीयनके लग, साहित्यकारनके लग आउर भारी अवसर हो। यी सकहुनके बृहत छलफलसे कैलालीमे थारु मानक भाषाके बारेमे निष्कर्ष निकरी ओ थारु भाषाके हालीसे हाली बिकास हुई कहना मिहीहे बिश्वास बा। तबमारे मेलाहे मजासे उसारेक लग अपनेहुक्रन सकहुन समयमे सम्पर्क करी, समन्वय करी ओ सहयोग करी कहना भारी अनुरोध फे बा।




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