बुडु ओ भुइचाल (कविता)
अरे नत्यौ
यी पिरठब्बी
खेचुहियक् कपारीम बा
जब खेचुहिया चाल करी टे
जमिन हिली
भुइचाल आइ।
बरा पहिलो हमार बुडु
बट्वाए अस्टे खिस्सा
लागे इहो खिस्सा हुइ
कौनो सोनपरीक्
कौनो डैंटुरुवक्
जौन खाली कहकुटमे किल सीमित बा
मने २०७२ बैशाख १२ गते
अचानक जमिन ठर्ठराइल
मन ठर्ठराइल
बुडुक् सुनाइल खिस्सा अस
फुरेसे खेचुहिया
कपार हिलासेक्ले रहे
भुइचाल डैंटुरुवा बन्के
आसेक्ले रहे।
समाचार रेडियो फुँक्टी बा
खबरपत्र समाचार छप्टी बा
भुइचालमे पर्के
मुउइयन ९ हजार
पुग्टी बटाँ रे
ओहोर भुइचालके कम्पनले
कमजोर पहाडमे
जैटी बा पहिरो
पहिरो फेन कौनो डैटरुवाहस
मुहँ आँ बनाके बैठल बा
नेपालीन् लिल्टी बा
मोर प्रिय मैगर बुडु
का भुइचाल अइना
आछट हेर्के
पैलाइ नैसेक्जाइठ?
भुइचालहे पाटी बैठ्के
रोके नै सेक्जाइठ?
मोर उत्तर डेनासे पहिले
बुडु टे भुइचालके हिलाइले डराके
लाट हस होगैल रहिट
चिम्क्वा सेक्ले रहिट आँखी
छम्टी रहुँ
बटिन कि नै ढक्ढिउरी बाँकी?
जियम जागम टे
मै सुनुइया बटुँ
आपन नत्यन भुइचालके खिस्सा
कि भुइचाल अइना ओ
खेच्हीक कपार हिल्नामे
नैहो कौनो सम्बन्ध
जे जे बनाइ सुरक्षित घर
उही नैहो भुइचालके डर।
भुइचाल टे जमिनभित्तर
एकआपसमे प्लेट रगरके
उत्पन्न कम्पनसे आइठ।
बुडु का टुँ मोर
बर्बराहट सुन्टी बटो?
बुडु बौराइहस उठ्लाँ ओ
फुफ्कार मर्ला–
उहे टे बल्गर खुँटा गारल
छप्रक् घर मजा
कटी रहुँ जे मैं
टोरे बाबा जान्या होके
ठह्वइले बा जे
यमराजके लग महल
बुडु खिस्सा बट्वाके
महलमे नैजाके
अपने भर
काजे छप्रक् घरेम
खुस्टे जैठाँ
आज बल्ले पटा पैलुँ।
आज बल्ले पटा पैलुँ।।
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