मैं पत्रकारितामे आइटुँ : सोनु थारू
थारू सलिमा अर्थात् थलिउडके क्षेत्रमे चिरपरिचित नाम हो, सोनु थारू। उहाँ थारू सलिमामे एकदमे उदयीमान नायिकाके रुपमे आपन पहिचान बनैना सफल हुइल बाटी। ‘मोर जंग’ सलिमाके छायाँकनके क्रममे समग्र थारू सलिमाके अवस्था, पारिवारिक, राजनीतिक अवस्थालगायत सवालमे उहाँसे कैगैल बातचितके अंश :
थारू सलिमाके बारेमे चर्चा परिचर्चा करेबेर थारू कलाकार मध्ये अप्नेक नाउँ सबसे आघे आइठ, खासकरके अप्ने फिल्मी क्षेत्रमे कसिके प्रवेश कर्ली?
छोटेसे मोर एकठो सफल कलाकार बन्ना सपना रहे। मने मै अवसर नैपाई सेक्ले रहु। गाउँघरमे पहिल थारू सलिमाके रुपमे रहल हटाई ‘कुहिरा’ के गाउँमे प्रदर्शन होए। जौन बेलामे गाउँके सक्कु मनै फिलिम हेरे गैलेसे फेन मै नैगैल रहु, टब्बे मही बरा अपसोच महसुस हुइल रहे। पाछे मै आपन पारिवारिक कारणवश २०५९ सालमे काठमाण्डौ गैल रहु। उ बेला थारू कलाकार प्रेम चौधरीसे मोर भेट हुइल। आपन सपना ओ अवस्थाके बारेमे उहाँहे जानकारी देहलपाछे फिलिमके छोट–छोट काम सुरु कर्लु। पहिले–पहिले मै फिलिमके स्त्रि्कप्ट लिखु। पाछे अभिनयमे हाठ डर्नु, पहिलचो मै अन्तरजातीय विवाह सम्बन्धी डकुमेन्ट्रीमे अभिनय कर्ले रहु, ओकरपाछे पहिल बार २०६१ सालमे अप्ने होम प्रोडक्सन सोना फिल्म प्रालिसे निर्मित ‘डगर’ फिलिममे मुख्य भूमिका कैनु।
एकठो कलाकारके नजरसे समग्रमे सलिमा क्षेत्रहे कसिक लेले बाटी?
सलिमा क्षेत्र एकथो बहुट गहिर तलुवा हो, बहुट भारी सागर हो। यी क्षेत्रमे जे आईठ् ओहे किल पता पाईठ् कि तलुवा कत्रा गहिर ओ समुन्द्र कत्रा भारी बा कहिके। सुरुमे महि कुछ फेन पता नैरहे, यहाँसमकी मही नाचे फेन नैआए, मै किहुहे नैजानकारी कराके डान्स सिखे जाउ, साथे फाइट फेन सिखु। पाछे–पाछे सिखगैनु, मने अभिनय भर नैसिख्नु, यी मोर ‘गड गिफ्ट’ हो। साथे मै सलिमा क्षेत्रहे बहुट गम्भिरताके साथ लेले बाटु। जेहिसे समाज परिवर्तन करे सेकजिना हेक्का फेन रख्ठु।
अप्ने थारू कलाकारके हैसियतसे थारू सलिमाहे कसिक लेले बाटी?
थारू सलिमा एकथो भाषिक सलिमा हो। जेकर माध्यमसे थारू समुदायके भाषा, संस्कृति, चाल चलन, रहनसहनहे प्रवर्द्धन करे सेकजिना संगे समाजमे व्याप्त रहल कुसंस्कारके अन्त्यके सन्देश देहे सेकजाईठ। लेकिन तमान लगानीकर्ताहुक्रे थारू सलिमाहे खेलौनाके रुपमे लेले बाटै, बरा हल्का ढंगसे लेले बाटै। ढिरे ढिरे उ फेन हट्टी गैल अवस्था हो।
सलिमा क्षेत्रमे लागलपाछे अप्नेहे का–कसिन समस्याहे सामना करेक परल?
एकदमे महत्वपूर्ण सवाल रख्ली (कपार खुन्ज्याइटी), बास्तवमे मोर फिल्मी क्षेत्र बहुट संघर्षमय बा। आपन सपना एक पाँजर रहे, उ बेला मै केक्रो डाई, केक्रो घरवाली, केक्रो पटोहिया बनल रहु। यहाँसम कसिक अइनु महिन सपनाहस फेन लागठ। उ बेला फिल्मी क्षेत्रमे लागल जन्नी मनैन्हे समाजसे हेरजिना दृष्टिकोण बहुट फरक रहे। बास्तवमे मै परिवार ओ समाजके जञ्जिर टुरके यहाँसम पुगल हुइटु। यहाँसमके मै यी क्षेत्रम अइलेसे फेन अभिन बहुट आरोहअवरोहके सामना करटी आइल बाटु, आपनहे यहाँसम पुगुइया प्यारा मनैनसे फेन दुर होगिल बाटु (भावुक हुइटी)।
थारू सलिमा क्षेत्रमे जे लगानी लगाइठ, अभिनयमे योग्य नैरहले फेन ओहे व्यक्ति खासकरके सलिमाके मुख्य भुमिकामे डेखजाइठ, जेकर कारण थारू सलिमाके गुणस्तर खस्कटी गैल अभास हुइठ कि नाई?
एकदमे जाइज बात हो। बास्तवमे यहाँ कुछ मनैन् पर्ती खेतुवामे बाली छिट्टी आइल बाटै। जिहिहे मजासे खेती कर्ना ज्ञानफेन नैरहठिन, तब फेन खेती करटी आइल बाटै। जेहिसे फेन गुणस्तरमे कमी आइल हो।
सलिमाके दौरानमे थारू नायक प्रेम चौधरीके संग अप्नेक बैवाहिक सम्बन्धसे जोरलरहे। मने अब्बे दुरी बह्रल देखजाइठ, खास वास्ताविकता का हो?
हो बास्तवमे सही बात हो, मै प्रेम चौधरीहे आजफेन एकदमे सम्मान करठु, यहाँ मै अइनाके पाछे उहाँके ढिउर भूमिका बा। मै काठमाण्डौमे छिरलपाछे कुछ समयमे हम्रे वैवाहिक सम्बन्धमे बाँधल रही। लेकिन परिस्थितिवश हमार (खुलैना अप्ठेरो मन्टी) संयुक्त जिन्गीके दौड सात बरसमे सीमित हुई पुगल। हमार एकठो नासोके रुपमे साढे तीन बरसके छाई बाटी।
कौनो फेन मानव परिवार, समाज, आपन सँस्कारसे बाँधल रहठै, अप्ने पारिवारिक सम्बन्धहे कसिक लेले बाटी?
प्रेम चौधरीसे सम्बन्ध विच्छेद हुइलपाछे मै एकल रुपमे संघर्ष करटी आइल बाटु, अब्बा मोर कलेक एकठो प्राञ्जली छाई ओ अमन चौधरी छावा (१७) किल हो। ओइनके भविष्य बाहेक कुछ नैसोच्ले हु।
सलिमा क्षेत्र संगे अप्नेक नाउँ राजनीतिक क्षेत्र ओहोर फेन झुकाव डेखजाइठ, भरखर सम्पन्न संविधान सभा चुनावमे अप्नेक नाउँ समानुपातिक सभासदके रुपमे ढारगिल रहे। का एकठो कलाकारहे सकृय राजनीति जरुरी बा?
एकदम जरुरी बा, राजनीतिहे जौनफेन क्षेत्रमे अभिन्न अंगके रुपमे लेजाइठ। थारू समुदाय एकदमे पाछे परल समुदाय हो। मै थरुहट तराई पार्टी नेपालके केन्द्रीय सदस्य फेन हुँ, महिन साँस्कृतिक विभागके जिम्मेवारी डेगिल बा। अधिकार प्राप्तिके लाग मै किल नै सब सचेत थारु राजनीति कर्ना जरुरी बा।
सलिमा क्षेत्र अब्बाके समयमे एकठो आकर्षक पेशाके रुपमे रहल बा, जौनक्रममे लावा–लावा कलाकारहुकनके आगमन हुइटी बा, उहाँहुकन अप्ने का कहना चहठी?
मोर कहाई, पिल्मी क्षेत्रमे लौव–लौव कलाकारहुक्रे अइना चाही, मने थारू फिल्मी क्षेत्रमे बहुट कलाकारहुकनके जन्म होसेकल बा। ओहे क्रममे कलाकारहुक्रे हेरैटी गैल फेन बाटै। एक समयमे रेशम चौधरी, अनुराधा चौधरी, देवी चौधरी, लक्ष्मण चौधरीलगायत कलाकार आइल रहै, उहाँहुक्रे काहे हेरैटी जाइटै? यी बातके अनुसन्धान कर्ना जरुरी बा।
अन्त्यमे, अप्नेक लौव सलिमा मोर जंग सुटिंगके क्रममे बा, अप्ने आपन दर्शकहुकन का कहना चाहटी?
छायाँकन जारी रहल थारू सलिमा एकठो नारी प्रधान सलिमाके रुपमे लेहे सेकजाई। समाजमे व्याप्त शोषण, महिला हिंसा, भष्ट्राचार विरुद्धके लराई हो कहिके बुझजाई। एकठो पत्रकार समाज परिवर्तनके लाग कसिक भूमिका निर्वाह करठ, मै पत्रकारके भूमिकामे आइटुँ। अन्तमे, लौव बरसके उपलक्ष्यमे मोर सक्कु शुभचिन्तकहुकन शुभकामना डेहक चाहटु।
साभारः पहुरा थारू दैनिक, धनगढी
Facebook Comment