संघर्षके कथा- ‘जीवनका बक्र रेखाहरु’
के.वी. चौधरी
उठाक शिर, नेगी खोल्क छाती,
कम्जोर निहुई अप्न, नि त मन फाटी
लर्टी जाई जुझ्टी जाई, उ डिन त आई,
कसम खाक उठाई, एक मुठ्या माटी ।
बल्गर मन, उच्च मनोवल, अर्गर आत्म विश्वास मनैन्हक संघर्षहँ प्रभावकारी ओ अर्थपूर्ण बनाइठ । असिक करल हर प्रयास सफल फे हुइठ । जिन्दगीम अइना हर समस्या, चुनौतीहँ मौका¬–अवसरके रुपम लेख संघर्ष कर्टि आइल शसक्त ओ जुझारु युवा बालिका चौधरी आझ अस्ट संघर्षके दस्तावेज लेक हमारमाझ आ रली । जैह्याफे शिर उठाक सुन्दर भविष्यके आसम एक मुठ्या माटी उठाक कसम खैटि आपन समाज देशहँ समृद्ध बनैना अभियानम सड्ड आघ बहर्टि रहल बालिका ‘जीवनका वक्र रेखाहरु’ निवन्ध संग्रह मार्फत आपन निजी जिबनके अनुभव–अनुभति हँ वरा जिरक् होख प्रस्तुत कैरख्ली । जिवन संघर्ष हा,े यी सड्डभर स्वाझ डग्रीमकेल नि–न्याङगट । ट्यार–बाङ डग्रीम कबु व्यँरा जैठा । फे डोस्र संघर्ष कैख डान्चे स्वाझ बनाइ सेक्जैठा कैख–जीवन संघर्ष हो कना सन्देश डेरख्ली यी किताब मार्फत ।
जंग्रार साहित्यिक बखेरी नेपालके प्रकाशन यी संग्रहम १७ ठो फरक फरक विषय ओ परिस्थितिम लैख्गैल निबन्ध ढैगिल बा । हरेक निबन्धम उठागैल विषयम लेखिका हिम्मतवाली डेख्पर्ठी । ट्याँर–बाङ जीवनके भोगाईहँ स्वाझ–स्वाझ प्रस्तुत करल यी संग्रहम खासकैख संस्मरणात्मक अभिव्यक्ति खन्गरक उठागैल बा । बाल्यकालम सहल दुःख पीडा, अभाव ओ गरिबी मर्मस्पर्शी बा । पारिवारिक सामजिक बन्धन, व्यबधान, कुरिती, कुसंस्कारके विरुद्धम उठागैल हर कदम प्रंशसनीय बाटन लेखिकाके । शिक्षाके उट्कठ् चाहनाले जुराइल अवसर हुँकाहार आघ बहर्ना प्रेरणाके श्रोत देख्पर्ठीन । जिवनम अइना निराशाके कारण आत्महत्याके तहम पुग्स्याकल मानसिकता समाजम रहल केक्रो उत्पेरणाके कारण समाज परिवर्तनके अभियन्ता ओ लाखौ युवन्हक प्रेरणाके स्रोत बन स्याकठ कना जिउगर उदाहरण बनल बटि लेखिका । आपन कभर पृष्ठमूमिम साहित्यकार÷पत्रकार कृष्णराज सर्वहारी कठ–‘बाहिरी दुनियासंग मात्र होइन, आफ्नो परिवारमाा कठिन भन्दा कठिन परीक्षामा खरो उत्रिकी उनको जीवन भोगाइबाट खास गरी धेरै ‘छोरी’ मान्छेले जीवन जिउने कला सिक्न सक्छन्, आँटिलो भएर अघि वढ्न सक्छन ।’ ओसिन त आपन बृित विकास (ऋबचभभच म्भखभयिऊभलत) म छाई– महिला हुइल मार आइल चुनौति ओ असहज परिस्थितिहँ कत्रा सजिलोसे पार लगाइ सेक्जैठा कैख यी संग्रह म लिख्गैल बा ।
ओत्रकेल नाही दाङसे बुह्रान गैल ऐतिहासिक विषय उठान कैख कडा परिश्रम, मेहनत कैख मेरमेह्रिक दुःख सक हुइलसेफे आपन परिवार समाज बुह्रानम बैठाइल पुर्खन्हक योगदानसे लेक लेखिकाके देश–विदेश यात्राम ड्याखल, भ्वागल, बहुटमेह्रिक ज्ञानमुलक बात फे यी किताबम पठनिय विषय बनल बा । जागिरे जिवनम सिखल बहुट चिज लेखिका सुक्कुन्हकलाग सार्वजनिक कैरख्ली । जिवनम अइना एक्लोपन ओ ‘फिक्कल अस्टिमकी’ म बट्वागैल बेराम परल बात पह्रबेर ट झन आँखिमसे आँस खस्ठा । नेपालम रहल गरिबी, कुसस्कार ओ सामाजिक अन्धविश्वास, असमानता अन्यायसे लेकरके यूरोप, अमिरेकाके विकास, समृद्धि ओ सामाजिक–आर्थिक व्यवस्थाके साक्षी हुइल बटी बालिका । द्धन्दले ग्रस्त नेपाली भूमिकाम साझा धर्तीके निरन्तर खोजिम रहल लेखिका आपन जीवनके रंगमञ्चम जिवन्त कलाकारक रुपम देखपर्ठी । आपन सांस्कृतिक चेतनाह फे वत्रह वल्गरख प्रस्तुत कैरख्ली यी किताबम । ज्या हुइलसेफे प्रयास मेहनत ओ आशावादी होख काम कर्लसे आपन व्यक्तित्व ओ नेतृत्व बनाई सेक्जैठा कना सन्देश बा यिहाँ ।
जग्रार साहित्यिक बखेरी नेपालके अध्यक्ष सोम डेमनडौराके लिखल डमडार प्रकाशकीय ओ सांस्कतिक अभियन्ता सुशील चौधरीक ‘चुलबुले बालिकाको खुलदुलीमुलक जिबनयात्रा’ कना सशक्त भूमिका रहल यी किताब लेखिका आपन स्वर्गिय डाइ–बाबन समर्पित कैरख्ली । ओसिन त आपन जिबनम डाइ –बाबनके महत्व ओ अभावहँ लेखिका खिट्कोर रख्ली । कहौंरे–कहोँरे विषय, सन्दर्भ दोह्रयाफे गैल बा । कौनो–कौनो विषयहँ डान्चे प्रतिकात्मक फे बनाइ सेक्लसे आम्हिन गहिंर भाव निक्राइ सेक्जैने रहकी कनाअस लागठ ।
ओराइबेर, मै एक्ठो इमान्दार पाठकके हैसियतले ज्या डेख्नु, ज्या बुझ्नु उह लिख्ना प्रयास कैरख्नु । म्वाँर नजरम यी किताबम फेमिनिजम् बा, साइकोएनालिसिस घुमैरा परल बा, बि–निर्माणवाद चोख्खुर बा, एक्जिस्टेन्सीयालिजम् आपन मुन्टा टौंक–टौंक उठाईठ् । सक्कुजे पह्रही पर्ना असिन डमडार किताब लिखल लेखिका पोस्ट मोडर्न हिरो बालिका चौधरीहँ स्यालुट बा । (अग्रासनबाट साभार )
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