गजल
आर के स्वागत
थारून्के बर्का तिउहार माघ कहिया हो ना, मिति हेरी
माघहे लावा साल मन्ना थारू जातिन्के नीति हेरी
संस्कृतिके धनी हम्रे थारू, बँचाइ, जोगाइ ओ गर्व करी
टरटिउहार चालचलन कत्रा सुग्घर हमार रीति हेरी
डश्या मन्ली, नच्ली, गैली ओस्टक भैली फेन खेल्ली
आझु काल्ही बा माघ आब टे हम्रे सामा काठी करी
आझु हम्रे फर्छिन हुई, सबजाने घट्वामे लहाके
चौरक टीका ओ दाल, नोन, चाउर छुए कोन्टी हेरी
सेवा सलाम नात, नट्करनसे भेटघाट टे करबे करब
डाई बाबा बुदी बुदुन्के आर्शिवाद लेना नाती हेरी
आई हहराई, राहरंगीट करी, बैठी पस्गा गिनोरके
ढिक्री, आलु सिन्कीक् टीना ओस्टे जाँरक भोक्टी हेरी
ढेर बा खानपिन अँचार, शिकार, मद टे परले बा
स’ख द’ख अस्ते हो, खाई पिई घरक ताँती माटी हेरी
जौन कैना हो आझु कैना हो निर्णय ओ समझदारी
अघरिया, गढुरियन गाउँ चलैना यहाँ थारू जाति हेरी
गोवरडिहा-६, महदेवा, देउखर
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