मुङ्ग्रह्वा नाचके शान (थारु भाषा)
अविनाश चौधरी, धनगढी- कैलालीके मुङ्ग्रह्वा थारु नाच आकर्षणके केन्द्र बिन्दु बन्टी गैल बा। थारु समुदायमे अक्केथोकिल रहल ओरसे गदरिया–१ खरुवाखेरा गाउँक युवा पुस्तालोग नच्टी रहल यी नाचके आकर्षण बढटी गैल हो। दाङ जिल्लाके देउखरसे उत्पत्ति हुईल कैहजिना मुङ्ग्रह्वा नाच अब्बे कैलालीमे किल जियल बा। साहित्यकार कृष्णराज सर्वहारी कैलालीके खरुवाखेरामे किल मुङ्ग्रह्वा थारु नाच नाचजैना दाबी कर्लै।
पच्छिउँक थारु समाजमे अक्केथोकिल रहल ओरसे यी नाच व्यावसायिक बन्टी गैल बा। तमाम कार्यक्रममे देखाईकलाग न्यौटा अइटी रहल नाचके मन्दरिया भागीराम चौधरी बटैलाँ। उहाँ कैलालीके तमाम ठाउँ सहित कञ्चनपुर, डोटी, दाङ, काठमाण्डौं लगायतके तमाम जिल्लामे जाके नाच देखा सेकल बटैलैं। कुछ ठाउँमे पहिल पुरस्कार समेत जिटल सुनैती चौधरी आघे थप्लैं–“आजकल कार्यक्रममे जाके नाच देखाइल वाफत निश्चित रुपिया लेटी रहल बटी।”
महाभारतके कथासे सम्बन्धित मुङग्रह्वा थारु नाच वीरताके प्रतिक रहल स्थानीयलोग बटैठैं। सामूहिक रुपमे नच्ना यी नाच आपन शक्ति देखाइकलाग नच्टी रहल मन्दरिया चौधरी बटैलाँ।
स्थानीय कथन अनुसार वनवाँस गैल बेला पाँच पाण्डवहुक्रनके पत्नी द्रौपदीहे राजा विराटके मन्त्री किचक आँखी लगाइल रहे। द्रौपदीक्मे आँख लगाइल कहती भीम आपन मुग्दुर (गदा) लेके किचकहे मारल रहिंट। ओस्तके कौरवपक्षके शक्तिशाली राजा दुर्योधनहे समेत भीम मुग्दुरलेके मारल सम्झनामे मुङ्ग्रह्वा नाच नच्ना चलन हुईल कहकुट बा।
वीरताके प्रतिक कहती यी नाच नच्टी आइल भागीराम चौधरी बटैलाँ। उहाँ २०४२ सालसे आपन गाउँमे मुङ्ग्रह्वा नाच नच्टी आइल जनैलाँ।
खरुवाखेराबासी आपन लोकसंस्कृति जोगैना उद्देश्यलेके गैलक सालसे आपन गाउँमे होम स्टेय सुरु कर्ले बटाँ। होम स्टेयमे घुमे आइल पहुनाहुक्रे प्रायः मुङ्ग्रह्वा नाच रुचैती रहल रघुनाथ चौधरी बटैलैं। उहाँ नयाँ पुस्ता पुरान संस्कृतिहे सहजेसे लेहल प्रति गर्व लागल धारणा रख्लैं।
पुरुष लोग मन्जोरीनके पंखा पिठमे बाँधके मुङ्ग्रा (गदा) लेके नाचल ओरसे यी नाचहे मुङ्ग्रह्वा नाच कैहगिल हो। येमे १४ जाने पुरुष ओ चार जाने महिला नच्थैं। महिलाहुक्रन दुरपट्टी (द्रौपदी) कैह जाइथ। पहिले–पहिले पुरुष लोग महिला बन्के नच्लेसे फेन आजकल महिला लोग दुरपट्टी बनके नाचमे सामेल हुइटी रहल बटाँ।
मन्ड्रक खोटमे नाच जैना मुङ्ग्रह्वा नाच ५२ खोटमे नाचे सेक्जाइथ। मने, खरुवाखेराबासी २२ खोटमे नच्टी रहल बटाँ। यी नाच खास कैके डश्य, डेवारी ओ माघमे नच्ना चलन रलेसे फेन खरुवाखेराबासी चहाजौन समय नच्टी बटाँ।
यी नाच चितवन, रुकुम, रोल्पा ओ सल्यानओंर नाच जैना लट्ठी नाचसे बहुत मेल खाईल थारु लोकवार्ता तथा लोकजीवन कना किताबमे उल्लेख कैगिल बा।
कुछ बर्ष यहोंर युवापुस्ता मुङ्ग्रह्वा नाचमे सक्रियता बढाइलप्रति खुशी हुईटी दुरपट्टी बनके नच्ना हसिना चौधरी गाउँक युवा पूरान संस्कृति ओंर आकर्षित हुईल बटैली। बहुत युवायुवती विदेशी संस्कृतिओंर आकर्षित हुईटी रहल बेला गाउँक युवापुस्ता आपन संस्कृतिमे लग्ना गर्वके विषय रहल दोसर नचुनियाँ पावर्ती चौधरी बटैली।
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