फुलपरी (कविता)
सियाराम चौधरी-
फुलपरी,
हावाके झोका जेखा
एकेछनमे राजविराज
एकेछनमे लहान
ने भुखप्यास कहैछै
ने लागैछै ओकरा थकान।
कखनो डेख्बै हाटबजारमे
कखनो डेख्बै जाइट गाम
कखनो डेख्बै अफिस कचहरी
दौरते डेख्बै सुवह साम
अखैन ओकरा सवकोइ कहैछै
रेडियो सखीवाली
दिन राइत करैछै काम।।
हरजगह पुग्ले रहट
हरदम काममे जुटले रहट
कि फोन करैट डेख्बै
कि बात करैट भेटबै
सवसे करैट जान पहिचान
सवके ईज्जत डेट
करट सवके सम्मान।।।
महिला पहिचानके लेल
ईज्जत सम्मानके लेल
पिठमे झोला बोक्ने
हावाके गति रोक्ने
स्कुटरमे चैल डेने छै
सवके मन मोईह लेने छै
हम ओकरा करैछै सलाम।।।।
फुलपरी,
हावाके झोका जेखा
एकेछनमे राजविराज
एकेछनमे लहान
ने भुखप्यास कहैछै
ने लागैछै ओकरा थकान।।।।।
सिसवनी–६, सिरहा
(महिलाके लग, महिलनसे् सञ्चालित महिला सामुदायिक रेडियो सखी १०६.४ मेगाहर्ज, शम्भुनाथ–३, सप्तरीक् अध्यक्ष तथा प्रवन्ध निर्देशक प्रमिला चौधरीक् लगनशिलता, जोश, जाँगरके संगे व्यस्त दिनचर्या डेख्के लिख्लक्)
साभारः १ साउन, २०७० गोरखापत्र
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