आवा जान तु बाह मेँ
आँख से आँख मिलाएके।
दिल मे लागल आगी के
जल्दी से भुताए के।।

मन तोहर निर्मल सागर बा
आँख दुनु गहिरी लदिया।
ओठ त लागे कमल के फूल
हम नाव त तु खेबैया।।

चल आवा जान तु बाह मेँ
ओठ से ओठ मिलाए के।
दिल मेँ लागल पियास के
जल्दी से मिटाएके।।

कौनो भूल भेल बाटे त
ओकरा तु बिसरा जइह।
लागल बा प्यार के नीँन
ओह्रनी तुँ ओह्रा दिहा।।

दिल बा हमर बेचैन बहुत
प्यार के गीत सुने सुनाए के।
उर्बर दिल के मिलन कराए के
एगो प्यार के फूल फलाए के।।

-रबि चौधरी
सन्तपुर-२ रौतहट
‘थरुहट के आवाज’ नामक किताबसे साभार

[नोट : थारु भाषाको कथा/कविता/साहित्य लेख्‍नुहुन्छ भने हामीलाई tharuwannews@gmail.com मा पठाउनुहोस्।]




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